प्रभात का ओज

हर प्रभात का ओज एक दूसरे से संघर्ष करता है।इस वक्त हम देवत्व के बहुत करीब आ जाते हैँ।हमारा मन क्रोध आदि को त्यागकर स्थिरबुद्दी योग मेँ पहुँच जाता है।जीवन मेँ ऊषाकाल का सम्मान करने से प्रेरणा मिलती है और सब कुछ मिल जाता हैं।सुबह का मतलब बस चाय या काफी ना समझना क्योँकि यह तो देवत्व धारण करने का समय है।

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