कल सुनने को मिला अन्ना इस बार का अनशन बिना किसी माँग या शर्त के पूरे हुए बिना तोडने जा रहे हैँ। अन्ना के लोगोँ का सियासत मेँ आना भी लगभग तय है। हाल ही मेँ जो कुछ भी हुआ उससे भविष्य मेँ लोग इस तरह के आन्दोलन की सफलता की उम्मीद कर सकेँगे,यह उम्मीद न के बराबर है।सरकार के कूटनीतिज्ञ अवश्य ही स्वंय को गौरवान्वित महसूस कर रहे होँगे। मुझे अरविन्द जी का वह वक्तव्य याद है जिसमेँ उन्होँने कहा था कि हमारा साथ दीजिए क्योँकि हम आपके दरवाजे पर वोट माँगने नहीँ आएँगे।शक तो मन मेँ यह भी पैदा होता है कि क्या अन्ना का राजनीतिक इस्तेमाल किया गया और भविष्य मेँ इसे व्यापक रुप से किये जाने की योजना है!बाबा और अन्ना के आन्दोलन मेँ R.S.S जैसे संगठनोँ की सक्रियता को नकारा नहीँ जा सकता। अन्ना की पार्टी की वजह से नुकसान b.j.p को उठाना पड सकता है और बाबा रामदेव भी सियासी तौर पर b.j.p के लिए ही खतरा साबित होँगे। अब मुझे नहीँ लगता कि इन स्थितियोँ मेँ अन्ना और रामदेव के साथ आने की कोई उम्मीद दिखती है।
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