अहसास होता है।

गुल नहीँ हूँ मैँ,
गुलफाम नहीँ हूँ।
किसी सुन्दर शायरी का
पैगाम नहीँ हूँ।

परे हूँ मैँ इस दुनिया सें,
इन्सान नहीँ हूँ,भगवान नहीँ हूँ।

एक नया जन्म हुआ ,मिले जब हम तुमसे।
अब ये न कहना प्रद्दुम्न कि मैँ कोई खास नहीँ हूँ।

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