तो क्या माओवादी बन जाएँगे सवर्ण?

ये जातिगत आरक्षण वो स्थिति ला देगा जब सवर्ण जातियाँ माओवादी बन जाएँगी। फिर वहीँ से जाति प्रथा का अंत हो सकता है। लेकिन इससे पहले जातिवाद की दीवारेँ बुद्दिजीवियोँ के मन मेँ आ जाएँगी। वैचारिक क्रान्ति के बजाय हिंसक क्रान्ति से जातिप्रथा का अन्त होगा? जाति प्रथा का अन्त कौन चाहता है? कोई पार्टी तो नहीँ, शायद इसीलिए इसके अन्त को लेकर कभी कोई नीति नहीँ बनी। पर स्थितियाँ बदलेँगी,कुछ अलग ही अन्दाज मेँ।

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