जब कभी आप अपने चारोँ ओर गंदगी देखते हैँ और उसे दूर कर पाने की क्षमता नहीँ रखते तो आप स्वंय को दोषी मानने लगते हैँ अथवा आप आँख बंद रखकर अपना काम करना चाहते हैँ।कभी हम ये भी सोचते हैँ कि सुधार लाने के लिए मैँ अकेले पहल कैसे करुँ अथवा मैँ ही क्योँ करुँ। जो इन्सान इन सवालोँ के जवाब पा लेता है वो कुछ तो कर गुजरता है समाज के लिए।

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