देश मेँ मोदी की लहर की बात हो रही है पर ये लहर किन-किन जगहोँ पर
बड़ी-बड़ी चट्टानोँ और वायुदाब के भौगोलिक चक्करोँ मेँ पड़कर अपना अस्तित्व
समाप्त कर लेगी ये देखने वाली बात है पर ये लहर कहीँ मूर्ख का स्वर्ग तो
नहीँ जो शहरी युवा मतदाताओँ की दिलोदिमाग को वश मेँ किए है ग्रामीण लाठी
और घूँघट पर शायद कोई असर ही न हो इस लहर का।
हरदोई सुरक्षित सीट पर मोदी की लहर को रोकने वाली एक बड़ी चट्टान होँगे
नरेश अग्रवाल,इसमेँ शक की जिसे भी गुँजाइश है समझ लो वो समझ से वास्ता ही
नहीँ रखता।
समाजवादी पार्टी प्रत्याशी ऊषा वर्मा के चुनाव प्रचार के दौरान वे उनकी
जीत या हार को अपने कद और पद के साथ जोड़कर लोगोँ के सामने पेश कर रहे हैँ
और शहर की सीमा के बाहर खेतोँ मेँ भगवान से उम्मीद ताकते किसानोँ के लिए
रोजगार,शिक्षा,गवर्नेँस मुद्दे मुँह खोलकर ये सुनने की बात होते हैँ कि
क्या कह गये, ये जरुर हो सकता है कि गुड़गाँव,लुधियाना,कानपुर जाकर दो जून
की रोटी के जुगाड़ के बारे मेँ सोचने वाले उनके बच्चोँ ने कहीँ
मोदी,गुजरात और रोजगार का नाम कहीँ देख,पढ या सुन लिया हो अन्यथा "हरदोई
का भोकाल","नरेश चालीसा" जैसे शब्द सुनकर ही लाल लहू मेँ साइकिल के पहिए
जैसे घूमते हीमोग्लोबिन के कणोँ से समाजवादिता का संचार शुरु हो जाता है।
रही सही कसर देशी पूरी कर देती है और परधान जी की चाटुकारी योग्यता।
देखिए कितना गजब संयोग है जब हमारे प्रिय नेता अपने राजनीतिक जीवन के
शिखर पर हैँ उसी वक्त उनका जिला लगभग 57% गरीब आबादी के साथ उत्तर प्रदेश
का सबसे ज्यादा गरीबोँ वाला जिला बन गया है और केन्द्र सरकार द्वारा
घोषित अतिपिछड़े 200 जिलोँ मेँ भी हरदोई का नाम है।
हम ट्रैफिक व्यवस्था की बात न करेँ,बड़े कारखाने,महाविद्यालयोँ की भी बात
छोड़ देँ और बात करेँ मूलभूत सुविधाओँ पानी,सड़क और पुलिस व्यवस्था की तो
आप खुद देख सकते हैँ दूसरी बनती है और पहली वाली टूटनी शुरु हो जाती
है...लाइटिंग,साफ सफाई, जल निकासी के लिए नगर पालिका,जिला पँचायत की जब
जिम्मेदारी बनती है तो बात आ जाती है अपने प्रिय नेता जी पर।
जुएँ,शराब,स्मैक ,गाँजा बेखौफ बेचा जा रहा है कहते हैँ संरक्षण है...
भारी भ्रष्टाचार,नकल माफिया कहा जाता है ऊपर से भी तो माँगा जा रहा है
क्या करेँ... नेता जी आशा है भोकाल की बातेँ छोड़कर कुछ आगे की,विषयोँ की
कुछ नयी बातेँ भी हम और आप करेँगे और आपकी तारीफ क्या करुँ करते करते
उँगलियोँ मेँ दर्द शुरु हो जाता है, अन्त मेँ बस इतना ही,"नेता अपना टाप
है,पर जिला हमारा फ्लाप है"।
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