.....उन्हेँ कुर्सी नहीँ मिली

.....एक रैली मेँ था....फोटो,वीडिया पत्रकार गैलरी जिसमेँ थोड़ी सी जगह
मेँ लद कर फोटो और वीडियो बना रहे थे,उसके दाँये ओर बैठा था। महिलाओँ के
बैठने की व्यवस्था तो कहीँ दिखी नहीँ थी और न ही कोई महिला दिख रही
थी।मँच पर एक महिला प्रत्याशी जरुर कालेज गर्ल की तरह कूद-फाँद करती दिख
रही थीँ। मुख्य अतिथि के आगमन के पाँच मिनट पूर्व तीन महिलाएँ जिनमेँ एक
बुजुर्ग महिला भी थी,बल्लियोँ को पार करते हुए दाखिल हुयीँ....और प्रथम
पँक्ति मेँ बैठे देशभक्तोँ से स्थान के लिए आग्रह किया परन्तु कोई भी
अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीँ हुआ।मैँ कुछ दूरी पर था सो न तो वो भीड़
मेँ वहाँ तक पहुँच सकती थीँ और न मेरी कुर्सी उन तक। मातृ शक्ति के
सम्मान की बात करने वालोँ के अन्धभक्तोँ से बुजुर्ग महिला के लिए कुर्सी
तक नहीँ छोड़ी गयी।वे खड़े होकर ही आधा घंण्टा मुख्य अतिथि को सुनती
रहीँ;पर कह रही थीँ अच्छे दिन आने वाले हैँ।

No comments:

Post a Comment